Monday, September 09, 2013

उर्दू ग़ज़ल : देखकर

मैं मुस्कुरा रहा हूँ धारे -तेग देखकर
हैरान है कातिल मेरा मंसूब: देखकर

धारे-तेग - तलवार की धार , मंसूब: - निश्चय

गर संग तर  हुआ तो मैं हूँ किस हिसाब में
मिज्गां -ए -यार को सरश्क-आलूद: देखकर

संग - पत्थर, तर - गीला, मिज़्गाँ - पलकें , सरश्क आलूद: - आंसू से भीगना

दीदार गर हुआ तो क़यामत ही आएगी
शर्मिंद: तेग है हिजाब़े यार देखकर

शर्मिंद: - लज्जित , तेग - तलवार, हिज़ाब - पर्दा

कोताहि-ए -किस्मत को इनायत समज़  लिया
लेटे  हज़ारों लोग सेजे-गम पे देखकर


कोताहि-ए -किस्मत - भाग्य की कमी, इनायत - वरदान , कृपा
सेजे -गम  - दुखों  की शय्या

दुनिया के लोग हैं  बड़े पक्के हिसाब के
 आबे-चश्म भी हैं  सरोक़ार देखकर

आबे-चश्म - आँसू , सरोकार - मतलब

हरम गया था  बारहा मैं माँगने दुःआ
लौटा मैं पै-ब-पै  ख़ुदा आजिज़ देखकर

हरम - मस्जिद , बारहा - बारबार , पै -ब -पै  - बारबार
आज़िज - लाचार

यों कम हुम मेरा जुनूं -ओ-शौके-जिस्त का
बिकता हुआ खुदा  सरेबाजार देखकर

जुनूं -ओ-शौके-जिस्त - जिंदगी की इच्छा और जूनून

सुखनवरों की भीड़ में पेहचान क्या अगर
खुश-आमदीद ना हुई 'सौरभ' को देखकर


सुखनवर - कवि
खुश-आमदीद - स्वागत

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