मैं मुस्कुरा रहा हूँ धारे -तेग देखकर
गर संग तर हुआ तो मैं हूँ किस हिसाब में
कोताहि-ए -किस्मत - भाग्य की कमी, इनायत - वरदान , कृपा
यों कम हुम मेरा जुनूं -ओ-शौके-जिस्त का
बिकता हुआ खुदा सरेबाजार देखकर
जुनूं -ओ-शौके-जिस्त - जिंदगी की इच्छा और जूनून
सुखनवरों की भीड़ में पेहचान क्या अगर
खुश-आमदीद ना हुई 'सौरभ' को देखकर
हैरान है कातिल मेरा मंसूब: देखकर
धारे-तेग - तलवार की धार , मंसूब: - निश्चय
गर संग तर हुआ तो मैं हूँ किस हिसाब में
मिज्गां -ए -यार को सरश्क-आलूद: देखकर
संग - पत्थर, तर - गीला, मिज़्गाँ - पलकें , सरश्क आलूद: - आंसू से भीगना
दीदार गर हुआ तो क़यामत ही आएगी
शर्मिंद: तेग है हिजाब़े यार देखकर
शर्मिंद: - लज्जित , तेग - तलवार, हिज़ाब - पर्दा
कोताहि-ए -किस्मत को इनायत समज़ लिया
लेटे हज़ारों लोग सेजे-गम पे देखकर
सेजे -गम - दुखों की शय्या
दुनिया के लोग हैं बड़े पक्के हिसाब के
आबे-चश्म भी हैं सरोक़ार देखकर
आबे-चश्म - आँसू , सरोकार - मतलब
हरम गया था बारहा मैं माँगने दुःआ
लौटा मैं पै-ब-पै ख़ुदा आजिज़ देखकर
हरम - मस्जिद , बारहा - बारबार , पै -ब -पै - बारबार
आज़िज - लाचार
बिकता हुआ खुदा सरेबाजार देखकर
जुनूं -ओ-शौके-जिस्त - जिंदगी की इच्छा और जूनून
सुखनवरों की भीड़ में पेहचान क्या अगर
खुश-आमदीद ना हुई 'सौरभ' को देखकर
सुखनवर - कवि
खुश-आमदीद - स्वागत
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