Wednesday, September 18, 2013

ग़ज़ल : डरता है

 Found this gazal on : https://aasvad.wordpress.com/2013/07/20/f-008/

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यहाँ हर शख़्स हर पल हादिसा होने से डरता है |
खिलौना है जो मिट्टी का फ़ना होने से डरता है |


मेरे दिल के किसी कोने में इक मासूम-सा बच्चा,
बड़ों की देख कर दुनिया बड़ा होने से डरता है |


न बस में ज़िन्दगी इसके न क़ाबू मौत पर इसका,
मगर इन्सान फिर भी कब ख़ुदा होने से डरता है |


अज़ब ये ज़िन्दगी की क़ैद है, दुनिया का हर इन्सां,
रिहाई मांगता है और रिहा होने से डरता है |


राजेश रेड्डी

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