मेरी आँखे इस तरहा नमकीन सा तू कर गया
कुछ तो हूँ जिंदा मगर थोडा कही मैं मर गया
इस कदर में तेज़ भागा वक्त की रफ़्तार से
मुड़ के देखा वक्त मेरा दूर पीछे रह गया
ढूंढता रहेता हूँ मुजको मैं ही अपने आपमें
कोई मुजको ये बता दे मैं कहाँ पर खो गया
गम नहीं मुजको मेरे मरने का बस इस बात पर,
इस बहाने दर्द सारा मेरे दिल का तो गया
क्या किया तुने फ़तेह मुजको सिकंदर ए बता
गर तेरे अंजाम में तू बेवतन सा रह गया
यूँ न होती बेरहम दुनिया तेरे आगोश में
लगता तू चादर तानकर इश्वर कहीं पर सो गया
जिंदगी भर मैंने दफनाये मेरे अरमान को
फर्क क्या पड़ता है गर मैं खुद दफ़न सा हो गया
--सौरभ जोषी
कुछ तो हूँ जिंदा मगर थोडा कही मैं मर गया
इस कदर में तेज़ भागा वक्त की रफ़्तार से
मुड़ के देखा वक्त मेरा दूर पीछे रह गया
ढूंढता रहेता हूँ मुजको मैं ही अपने आपमें
कोई मुजको ये बता दे मैं कहाँ पर खो गया
गम नहीं मुजको मेरे मरने का बस इस बात पर,
इस बहाने दर्द सारा मेरे दिल का तो गया
क्या किया तुने फ़तेह मुजको सिकंदर ए बता
गर तेरे अंजाम में तू बेवतन सा रह गया
ऐश शेखों को यहाँ क़ाज़ी तेरे इन्साफ में
और कही पर भूखा नंगा कोई बचपन मर गया यूँ न होती बेरहम दुनिया तेरे आगोश में
लगता तू चादर तानकर इश्वर कहीं पर सो गया
जिंदगी भर मैंने दफनाये मेरे अरमान को
फर्क क्या पड़ता है गर मैं खुद दफ़न सा हो गया
क्यों करू खुद पर यकीं 'सौरभ' मुझे तू ये बता
छोड़कर बेहाल मुजको मेरा साया भी गया --सौरभ जोषी
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